Ramadan 2024: शुरू हो रहा है माह-ए-रमजान, रोजा रखने के खास नियम, यहाँ देखे…

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Ramadan 2024: इस्लाम धर्म के लिए रमजान का महीना विशेष महत्व रखता है। इसे एक बहुत ही पवित्र समय माना जाता है। माना जाता है कि इस दौरान रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं दुआएं कुबूल करते हैं। यहाँ देखे रमजान से जुड़ी कुछ खास बातें।

रमजान का क्या महत्व

रमजान का रोजा 29 या 30 दिनों का होता है। इस्लाम धर्म में बताया गया है कि रमजान के दौरान रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल करते हैं। इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 100 गुना अधिक मिलता है। चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सूरज के निकलने से पहले सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है और सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है। इसे माह ए रमजान भी कहा जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ भी नहीं खाते पीते हैं। रोजा के दौरान लोग सहरी करने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठते हैं और शाम को इफ्तार साथ अपना उपवास तोड़ते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। रमजान के महीने में रोजा रखना, रात में तरावीह की नमाज पढ़ना और कुरान तिलावत करना शामिल है। यह महीना सभी मुसलमानों के लिए बेहद खास माना जाता है।

सहरी के नियम

रोजे की शुरुआत सुबह सूरज निकलने से पहले फज्र की अजान के साथ होती है। इस समय सहरी ली जाती है। रमजान माह में रोजाना सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है। इसे सहरी नाम से जाना जाता है। सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है। सभी मुस्लिम लोगों को रोजा रखना अनिवार्य माना जाता है, लेकिन बच्चों और शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों को रोजा रखने के लिए छूट दी गई है।

इफ्तार

दिनभर बिना खाए-पिए रोजा रखने के बाद शाम को नमाज पढ़ी जाती है और खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। यह शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है। इसी को इफ्तार नाम से जाना जाता है। सुबह सहरी से पहले व्यक्ति कुछ भी खा पी सकता है।

पहला रोजा

रमजान का महीना चांद को देखकर किया जाता है। सबसे पहले सऊदी अरब में रमजान का चांद दिखाई देता है। भारत में रमजान की शुरुआत 11 मार्च, सोमवार के दिन से हो रही है।

रोजा रखने के नियम

रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है बल्कि आंख कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। यानी इस दौरान न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही किसी को बुरा कहें। इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं पर ठेस न पहुंचे। रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है। हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं।

क्यों खास है रमजान

भारत में रमजान की शुरुआत 11 मार्च, सोमवार के दिन से हो रही है। वहीं, इसका समापन 10 अप्रैल, बुधवार के दिन होगा। रमजान में रोजा रखने वाले लोगों को रोजेदार कहा जाता है। रोजेदार सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे एक महीने का रोजा रखते हैं। इस दौरान रोजाना रात को नमाज अदा की जाती है। इफ्तार के समय तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और रोजेदार को परोसे जाते हैं। यह महीना अच्छे कर्म करने के लिए समर्पित माना जाता है और इस दौरान ज्यादा से ज्यादा समय अल्लाह की इबादत में बिताया जाता है।

क्यों किए जाते हैं रोजे

इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में मुसलमानों की प्रमुख किताब यानी कुरान, पैगंबर मोहम्मद पर नाज़िल (अवतरित) हुआ था। मुस्लिम ग्रंथों में माना गया है कि रमजान के महीने में अगर सच्चे और पाक दिल से दुआ मांगी जाए, तो अल्लाह सभी दुआएं पूरी करते हैं। साथ ही सारे गुनाह भी माफ हो जाते हैं।

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