Day 03 श्री शंकर सुमन-सूंदर शिव महापुराण कथा ददरौआ धाम भिंड मध्य प्रदेश में Pandit Pradeep Mishra जी की कथा चल रही है कथा की शुरुआत में महाराज Pandit Pradeep Mishra जी ने कहा जन्म ले लेना पृथ्वी पर सरल है लेकिन पृथ्वी पर भगवान की भक्ति करना कठिन है भगवान ने अपने हृदय में एक स्थान बना रखा है जहां पर साधु संत भक्त प्राण छोड़ने के बाद निवास करते हैं
Pandit Pradeep Mishra
पत्र स्वर्णलता वर्मा शिव महापुराण को नमन करते हैं मेरी बेटी ने जज के लिए परीक्षा दी लेकिन पास नहीं हुई मैंने बेटी से कहा कि एक लोटा जल और बेलपत्री पर शहद लगाकर समर्पित करो पंडाल में बैठकर कथा सुनी पशुपति व्रत किया मेरी बेटी 25 सितंबर को जज बन गई वह जज शिव कृपा से बनी है
महाराज जी ने कहा कि घर के बुजुर्ग सास बहू को गाली देती है ताने देती है माता-पिता अपने बच्चों को क्रोध में आकर अपशब्द कहते हैं तो भविष्य पुराण मैं लिखा है माता-पिता के अपशब्द ताने गाली भी आशीर्वाद बन जाते है नल नील को साधु और संतों ने श्राप दिया था कि वह कुछ भी नदी में डालेंगे तो वह डूबेगा नहीं तैर जाएगा क्योंकि नल नील साधु संतों का सामान नदी में डाल देते थे कभी-कभी श्राप भी वरदान बन जाता है
जब राम जी पुल बना रहे थे तो नल नील ने राम नाम लिखकर पत्थरों को समुद्र में डाल रहे थे पुल बनाने के लिए यह बात रावण को पता चली की पुल बन रहा है रावण की तीन पत्नियां थी सात पुत्र थे और एक पुत्री थी उसका नाम सुवर्णमछा था रावण ने अपनी पुत्री से कहा कि तुम किसी तरह भी समुद्र में जो पुल बन रहा है उसे बनने मत दो तो रावण की पुत्री समुद्र में गई सभी जीव जंतुओं के साथ जो पत्थर पड़े थे उन्हें वह हटा देती थी जिनकी वजह से पुल नहीं बन पा रहा था तब शंकर जी प्रकट हुए शंकर जी ने हनुमान जी से कहा कि आप अपनी गदा समुद्र में छुआ दो तो सुवर्णमछा रावण की पुत्री सामने आ जाएगी और उससे पत्थर हटाने के लिए मना कर देना
हनुमान जी के हाथ में जो गदा है उसका नाम कौमोदकी की है उसे कुबेर ने हनुमान जी को दिया था
महाराज जी ने कहा कि मां सती को कोयल बनना पड़ा था क्योंकि उन्होंने यज्ञ में अपने प्राण त्यागे थे जब कोई धर्म कर रहा हो तो उसमें कोई विघ्न डालता है तो उसे पक्षी का जन्म लेना पड़ता है
महाराज जी ने कहा की बेलपत्र के पेड़ से बेलपत्र तोड़ो, पीपल के पेड़ से पीपल का पत्ता तोड़ो, तुलसी के पेड़ से तुलसी की पत्ती तोड़ो, आमले के पेड़ से पत्ती तोड़ो लेकिन किसी पेड़ की डाली नहीं टूटनी चाहिए अगर हम किसी पेड़ की डाली तोड़ते हैं उसे खराब करते हैं तो वनस्पति देव हमें श्राप देते हैं और हमें भी पेड़ पौधा बनना पड़ता है
bel patra ka chandan Pandit Pradeep Mishra Upay
महाराज जी ने कहा कि अगर कोई बेलपत्री का पेड़ पूरा सूख गया उसकी जड़ भी सुख गयी हो तो उस जड़ रख लो और उसका चंदन बनाकर बेलपत्री की जड़ को पत्थर में पीस कर महादेव को प्रदोष, शिवरात्रि, सोमवार की अष्टमी चढ़ा सकते हैं
महाराज जी ने कहा की बेलपत्र की जो जड़ तना सूख गई हो उसको पत्थर घिसकर पीसकर महादेव को चंदन के रूप में लगाइए
प्रदोष के दिन अपने बेलपत्री का चंदन बनाकर शिवलिंग के ऊपर लगाया है तो उसी बेलपत्री के चन्दन को आप अलग कटोरी में छोटी-छोटी गोली बनाकर रख लीजिए
सोमवार की अष्टमी के दिन अपने बेलपत्री का चंदन बनाकर शिवलिंग के ऊपर लगाया है तो उसी बेलपत्री के चन्दन को आप अलग कटोरी में छोटी-छोटी गोली बनाकर रख लीजिए
शवरात्रि के दिन अपने बेलपत्री का चंदन बनाकर शिवलिंग के ऊपर लगाया है तो उसी बेलपत्री के चन्दन को आप अलग कटोरी में छोटी-छोटी गोली बनाकर रख लीजिए
बेलपत्री के चन्दन का प्रयोग कैसे कहाँ करना है
जो प्रदोष के दिन आपने शिवलिंग के ऊपर बेलपत्री का चन्दन चढ़ाया उसकी गोली बनाई शरीर में किसी के गांठ हो गई है डॉक्टर बोल रहा है कि ऑपरेशन होना है तो आपको रोज एक गोली खानी है कुंदकेश्वर महादेव के नाम लेकर 15 दिनों तक आपकी गठन गल जाएगी
सोमवार की अष्टमी के दिन जो आपने बेलपत्र चंदन चढ़ाया है उसकी भी गोली बना कर रख लीजिए अगर बच्चा 8-10 साल का हो गया बिस्तर में गंदगी कर रहा है कोई रोग से ग्रसित है भय लगता हो तो उसे हफ्ते में एक दिन बच्चों को पानी के साथ बेलपत्र के चन्दन वाली एक गोली दीजिये वह धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा
अब जो आपने शिवरात्रि के दिन बेलपत्र के चंदन की गोली बनाई है डॉक्टर कहे की रीड की हड्डी में गैप हो गया है शरीर की हड्डी कमजोर हो गई है तो हफ्ते में दो बार पानी के साथ आपको बेलपत्र के चन्दन वाली गोली लेनी है धीरे-धीरे सही हो जाएगा
पशु पक्षी भी भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना करते हैं अहिरावण ने पाताल लोक में भगवान शंकर की उपासना करते हैं जल दूध अभिषेक पूजन करते हैं
पूजन करते समय इन 3 चीजों का दर्शन हो तो समझ लेना भगवान ने स्वीकार कर लिया
पूजन करते समय, तुलसी को जल चढ़ाते समय, घर में पूजन करते समय, पीपल की पूजन कर रहे हो उस समय, बेलपत्री का पूजन कर रहे हो उस समय, आंवले का पूजन कर रहे हो उसे समय पर या कोई आप पूजन भजन कर रहे हो उसे समय पर आपके दरवाजे पर आप के सामने तीन आ जाते हैं तो समझ लीजिए आपकी पूजन को भगवान ने स्वीकार कर लिया
आप घर में भगवान की आराधना कर रहे हैं,अभिषेक कर रहे हैं, पूजन कर रहे हैं, पाठ कर रहे हैं तो दरवाजे के सामने गौ माता आ जाए तो समझ लीजिए आपका पूजन सफल हो गया
जब आप पूजन कर रहे हो भगवान की आराधना में लीन हो उसे समय पर आपके घर में आपके कुल की बहन बेटी आ जाए तो समझ लीजिएगा कि आपका पूजन सफल हो गया है आपका पूजन सार्थक हो गया
तीसरे नंबर पर आप पूजन कर रहे हो और आपके सामने कोई संत साधु भक्त जिनके मस्तक पर तिलक लगा हो वह आ जाए तो समझ लेना की पूजन सफल हो गया
अहिरावण पूजन करके चला जाता तो शिवलिंग के पास जो दूध दही जल रहता उसे मछली ग्रहण करती
कोई चींटी चिटा भगवान के मंदिर में चली जाती और प्रसाद खा लेती तो उसे मनुष्य का जन्म मिल जाता है
एक बार अहिरावण कहीं चला गया अब 15 दिन हो गए मछली को ग्रहण करने के लिए शिवजी का प्रसाद नहीं मिला वह तड़पने लगी
पत्र मैं डिगवा जिला की रहने वाली हूं बेटे ने आर्मी के लिए तीन बार अप्लाई किया नहीं हुआ उसकी छाती में गठान थी मैंने बेटे से कहा कि शिव जी के ऊपर जल चढ़ाओ ऑपरेशन कराया बाबा का जल लगाया और आर्मी की नौकरी मिल गई।
जिस हाथ से शिवलिंग पर आप जल चढ़ाते हो उसे हाथ को महादेव मरते दम तक नहीं छोड़ते
सब लोग आपको खाली हाथ भूखे देख सकते हैं लेकिन महादेव कभी आपको खाली हाथ भूखे नहीं देख सकते
हनुमान जी लंका जलाकर जब वापस आ रहे थे हनुमान जी का पसीना समुद्र में गिरा और मछली ने उस पसीने को पी लिया मछली का गर्भ ठहर गया एक बेटे का जन्म हुआ का नाम मकरध्वज था नीचे से मछली का भाग था ऊपर बंदर का भाग था
अहिरावण ने मकरध्वज को द्वारपाल बना दिया राम लक्ष्मण को जब अहिरावण ने छुपा लिया था तो हनुमान जी आए हनुमान जी की गदा मकरध्वज से छू गई मकरध्वज ने बताया कि हनुमान जी आप मेरे पिता हैं अहिरावण को हनुमान जी ने मार दिया और राम और लक्ष्मण को लेकर गए मकरध्वज पाताल लोक के सिंहासन पर बैठ गए
भगवान शंकर का 11वां रूद्र रूप है हनुमान जी है
सलाह और सहयोग देने वाले में फर्क होता है सलाह देने वाले बहुत और सहयोग करने वाले बहुत कम होते हैं
जो संकल्प लेता है चाहे पशु पक्षी मनुष्य हो उसका संकल्प भगवान शंकर स्वयं पूरा करते हैं
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
हर हर महादेव
प्रदीप मिश्रा जी की फीस कितनी है?
एक भी रुपया नहीं केवल पंडाल और व्यवस्था का खर्चा रहता
प्रदीप मिश्रा पहले क्या करते थे?
मंदिर में साफ-सफाई करते थे.सबसे पहले सीहोर में कथावाचक के रूप में मंच संभाला
पंडित प्रदीप मिश्रा कितने साल के हैं?
पंडित प्रदीप मिश्रा का जन्म 1980 में सीहोर में हुआ था
प्रदीप मिश्रा की कथा कहाँ चल रही है?
श्री शंकर सुमन-सूंदर शिव महापुराण कथा ददरौआ धाम भिंड मध्य प्रदेश में
पंडित प्रदीप शर्मा कौन है?
पंडित है